मन-
आत्मस्विकृति का परिचायक
अतीत के कोरे कागज़ पर
अंकित
पुस्तक का पृष्ट हैं,
भविष्य में लिखा जाने वाला
निर्भय हस्ताछर हैं,
चंचल मन
खरल कि तरह
वेदना- सवेंदनाओं कि राह में
दर्द और भटकन को
समेटने वाला
अनंत महासागर हैं !
आत्मबोध कि अनुभूति लिए
जलशयों में उड़ेली गयी
पंचधारा हैं !
वैराग्यपूर्ण अनुराग पर
पहुँची हुई
सत्य का श्रेष्ठतम अनुग्रह हैं !
एक क़ी विरक्ति में समाहित
|
शायद -
दूसरे क़ी अनुरक्ति हैं !
ज्ञान -अज्ञान के भ्रमजाल में
उभरने वाली
जीवन क़ी सहज पहचान हैं !
मन -
समवेत चलने वाले
उतुंग शिखरों पर आरूढं
अयाचित पथ्चारियों क़ी
नि:संग पहचान हैं !
मन -
अवरुद्ध मार्ग से लौटने वाले
पथ का पराजय नहीं ,
अग्रगामी भविष्य का
संपुट परिणाम हैं !
विवेक का महाद्वार हैं ,
अवरोधी पर्वत के
शिलालेख पर अंकित
व्यतीत ज्वलन
और - |
वर्तमान क़ी चुनोतीं हैं !
मन -
निर्माण और विध्वंस के
समायोजन का
समायोजन करने वाला
महाकाव्य का स्रजनकार हैं !
धवल - श्वेत दुग्धधारा से
उड़ने वाली उत्ताल तरंगों क़ी
लहरों का उद्देलन लिए
अजस्र वन्या - प्रवाह हैं !
जन्म - जन्मान्तरों से
अनुत्तरित क्षणों में
आत्मनिर्णय की अहं भूमि का
शोधार्थी की आत्म्द्रष्टि का
अतीतातीत तत्व की ग्रहणशीलता
लिए -
पूर्ण समर्पण का
अंतिम परिचय हैं मन ! |